शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007

सरकार के दावे और हकीकत

मध्यप्रदेश सरकार ने विकास के नाम पर ग्लोबल इंवेस्टर्स आयोजित की थी। उसके लिए तैयारियां भी खूब जोर शोर से की गई थी। पूरे शहर को साफ किया गया। दिन में एक बार नहीं बल्कि ३-४ बार सड़कें साफ की जाती थीं। शहर में एक मिनट के लिए भी बिजली नहीं कटती थी। जिस स्थान पर मीट हो रही थी वहां के आसपास के इलाकों में तुरत-फुरत में मोबाइल पुलिस चौकियां बना दी गईं और जिन चौराहों पर कभी एक सिपाही तक नहीं खड़ा होता था वहां टीआई और एसआई खड़े होने लगे।

सरकार का दावा है कि इससे इंदौर समेत पूरे राज्य की किस्मत बदल जाएगी। पर हाल ही में हुए उपचुनावों ने बता दिया कि किसकी किस्मत बदल सकती है। लोगों को मीट से ज्यादा विकास और सुशासन की जरूरत है।

पर यह सब तो सिर्फ उस कहावत की तरह थे कि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात। मीट खत्म होते ही बिजली कटने लगी वो भी दो घंटे के लिए। साथ ही रातों-रात पुलिस चौकिंयों को भी ट्रकों में लादकर उठा ले गया प्रशासन। ताकि फिर कभी कोई मीट हो या कोई वीआईपी आए तो उन्हें दोबारा रखकर व्ववस्था का दिखावा किया जा सके।

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार और प्रशासन ने जनता को एकदम ही मूर्ख समझ लिया है। एक तरफ सरकार है जो सिर्फ इंवेस्टर्स मीट कर रही है पर जनता के लिए मूलभूत सुविधाऒं की सुध कौन लेगा यह कोई नहीं जानता है। यदि बेसिक जरूरते जनता को ही उपलब्ध नहीं होंगी तो इन निवेशकों को क्या मिलेगा भगवान ही जानता होगा या फिर खुद सरकार।

2 टिप्‍पणियां:

  1. यह हमारी सरकार का कमीना पन है कि वह जो भी करती है सिर्फ पैसे वालों के लिए ही करती है, यही लोकतंत्र का सबसे बड़ा नुकसान है कि जनता के नाम पर जनता को ही बेवकूफ बनाते हैं

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  2. ye governments sochti hain ki janta to moorkh hai....usko kuchh bhi kah do..sun legi. lekin shayad wo bhool jate hain ki wo apna jawab vote se deti hai. by elections isi ka trailor hai.

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