मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं को प्रदेश भर की महिलाओं का भाई कहते नहीं थकते हैं। महिलाओं और बेटियों के कल्याण के लिए उन्होंने योजनाएं भी चलाईं हैं। लेकिन इन योजनाओं का फायदा सबसे ज्यादा किसे हो रहा है, यह तो जमीन पर उतरने पर ही मालूम पड़ता है। प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है। हवस में अंधे लोग अबोध बच्चियों तक को अपना निशाना बना रहे हैं। देशभक्ति जनसेवा का ढोल पीटने वाली पुलिस को तो जितना कोसो उतना कम। पुलिस कितनी सक्रिय है यह आप प्रदेश के एक पूर्व डीजीपी से भी जान सकते हैं, जिन्हें अपने घर पर हुई एक लूट की रिपोर्ट लिखवाने में पसीना आ गया था।
खैर, मुद्दे की बात तो यह है कि दमोह जिले के पथरिया ब्लॉक में एक महिला पर कुछ दबंगों ने केरोसीन तेल डालकर उसे जलाने का प्रयत्न किया। सभी दबंग अपने कारनामे को अंजाम देने के बाद से फरार हैं तथा पुलिस सांप निकलने के बाद लकीर पीट रही है। अब बताइए यह हालात उस जिले के हैं, जहां से जयंत मलैया कैबीनेट मंत्री हैं तथा उनकी पत्नी सुधा मलैया राष्ट्रीय महिला अधिकार आयोग की सदस्य रह चुकी हैं।
वैसे महिलाओं के प्रति केवल मध्यप्रदेश में ही अपराध नहीं हो रहे हैं, बल्कि दिल्ली इसमें भी राष्ट्रीय दर्जा हासिल किए हुए है। दिल्ली हाफ मैराथन के दौरान अभिनेत्री एवं मॉडल गुल पनाग के साथ हुई बदतमीजी का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि चलते ऑटो में सामूहिक बलात्कार किया गया। पूरी दिल्ली और एनसीआर के लिए महिला अपराध कोई बात नहीं रह गए हैं। अफसोस तो इस बात का है कि देश की राजधानी के हालातों से ही बाकी देश के बारे में पता लगाना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है।
एक देश जहां की राष्ट्रपति महिला है, राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश की मुख्यमंत्री भी महिला है, महिला सशक्तिकरण का ढोल आए दिन संसद से सड़क तक पीटा जाता है। वहां पर कानून महिलाओं की सुरक्षा कर पाने में लाचार क्या हैं।
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