गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

BHARAsTachar

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मंदी और महंगाई से जूझते हुए यह वर्ष 2010 भी नए साल के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है। बीते वर्ष यानी 2008, 2009 और यह 2010 भी इतिहास में कई कारणों में याद रखे जाएंगे। विश्व खाद्यान्न संकट और तेल के बढ़ते दामों के बाद आई मंदी ने अच्छे से अच्छे देश और लोगों की कमर में लचक ला दी थी।

भारत के परिपेक्ष्य में तो यह वर्ष काफी महत्वपूर्ण भी रहे। दो वर्ष पहले हमारे देश के एक माननीय केंद्रीय मंत्री ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि भारत में लोग ज्यादा खाना खाने लगे हैं, इसलिए खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। हकीकत यह है कि आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी भुखमरी का शिकार है। उनके लिए आवंटित अनाज को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।

भ्रष्टाचार से याद आया कि इस वर्ष यानी 2010 को भ्रष्टाचार वर्ष के रूप में याद रखा जाएगा। वजह से तो आप सभी वाकिफ हैं। इस वर्ष हमारे देश में भ्रष्टाचार में कई नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। कॉमनवेल्थ खेल घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अनाज घोटाला, कर्नाटक भूमि घोटाला, आईपीएल मैच में घोटाला, सेना में अनाज से लेकर कंबल आपूर्ति तक में घोटाला।

अब तो सुप्रीम कोर्ट भी मान चुकी है कि हमारे देश में बिना “खर्चा” किए कोई काम नहीं करवाया जा सकता है। वैसे भी घोटले और हमारे देश के बीच लंगोटिया याराना है। ऐसा कोई साल नहीं होता है जब यहां घोटाला न हुआ हो। आजादी के तुरंत बाद ही शुरु हुआ घोटालों का दौर आज तक बदस्तूर जारी है। नेताओं और सरकारी प्रणाली में घोटाला प्राणवायु यानी ऑक्सीजन की तरह है।

हर वर्ष आने वाली ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में बड़े शान के साथ भारत का नाम भी सबसे भ्रष्ट देशों की फेहरिस्त में जगमगाता है।

कार्टन साभार: हरिओम तिवारी जी के ब्लॉग कार्टून कमंडल से

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