दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की है। पार्टी के राष्ट्रीय अरविंद केजरीवाल चुनावों के पहले से ही यह दावा कर रहे थे कि इस बार वो पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे और हुआ भी ऐसा ही।
लेकिन इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त रूप में मुंह की खानी पड़ी और कांग्रेस को पूरी तरह से साफ हो गई। जहां दिल्ली विधानसभा में भाजपा एक अंक की सीटों पर सिमट गई वहीं, कांग्रेस एक भी सीट का खाता नहीं खोल सकी।
कांग्रेस में एक बार फिर 'प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाओ' की आवाज उठने लगी है।
उधर, जीत से उत्साहित केजरीवाल ने अपने पहले भाषण में समर्थकों से कहा कि भूलकर भी अहंकार मत पालना।
आइए, जानते हैं उन कारणों को, जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी को दिल्ली में ऐसी ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है।
जबरदस्त तैयारी : लोकसभा चुनाव के बाद से ही दिल्ली चुनाव की तैयारी शुरू की।
छवि सुधारी : केजरीवाल ने हर उपलब्ध मौके पर जनता से माफी मांगी। इससे उनकी छवि सुधरी।
सिर्फ दिल्ली पर ध्यान : "आप" ने सिर्फ दिल्ली ही फोकस किया। बाकी राज्यों के चुनाव पर ध्यान नहीं दिया।
सोशल मीडिया का उपयोग : सोशल मीडिया भी "आप" भाजपा समर्थकों के हर सवाल का जवाब दिया।
भ्रष्टाचार का मुद्दा : "आप" ने 49 दिनों में दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने वाला मुद्दा आखिर तक आगे रखा।
कमजोर नेतृत्व का फायदा : दिल्ली भाजपा के कमजोर नेतृत्व से भी "आप" को काफी फायदा मिला।
दलित और मुस्लिम वोट : "आप" ने दलितों और मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बनाई।
बेदी फैक्टर फेल : भाजपा कार्यकर्ता ही किरण बेदी को सीएम प्रत्याशी के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए।
ध्रुवीकरण नहीं हुआ : आप कार्यकर्ताओं ने इसका ध्यान रखा कि वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होने पाए।
कांग्रेस के वोट मिले : कांग्रेस की बुरी हार हुई है। उसके वोट आप को मिले। इससे आप की सीटों की संख्या बढ़ गई।
लेकिन इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त रूप में मुंह की खानी पड़ी और कांग्रेस को पूरी तरह से साफ हो गई। जहां दिल्ली विधानसभा में भाजपा एक अंक की सीटों पर सिमट गई वहीं, कांग्रेस एक भी सीट का खाता नहीं खोल सकी।
कांग्रेस में एक बार फिर 'प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाओ' की आवाज उठने लगी है।
उधर, जीत से उत्साहित केजरीवाल ने अपने पहले भाषण में समर्थकों से कहा कि भूलकर भी अहंकार मत पालना।
आइए, जानते हैं उन कारणों को, जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी को दिल्ली में ऐसी ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है।
जबरदस्त तैयारी : लोकसभा चुनाव के बाद से ही दिल्ली चुनाव की तैयारी शुरू की।
छवि सुधारी : केजरीवाल ने हर उपलब्ध मौके पर जनता से माफी मांगी। इससे उनकी छवि सुधरी।
सिर्फ दिल्ली पर ध्यान : "आप" ने सिर्फ दिल्ली ही फोकस किया। बाकी राज्यों के चुनाव पर ध्यान नहीं दिया।
सोशल मीडिया का उपयोग : सोशल मीडिया भी "आप" भाजपा समर्थकों के हर सवाल का जवाब दिया।
भ्रष्टाचार का मुद्दा : "आप" ने 49 दिनों में दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने वाला मुद्दा आखिर तक आगे रखा।
कमजोर नेतृत्व का फायदा : दिल्ली भाजपा के कमजोर नेतृत्व से भी "आप" को काफी फायदा मिला।
दलित और मुस्लिम वोट : "आप" ने दलितों और मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बनाई।
बेदी फैक्टर फेल : भाजपा कार्यकर्ता ही किरण बेदी को सीएम प्रत्याशी के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए।
ध्रुवीकरण नहीं हुआ : आप कार्यकर्ताओं ने इसका ध्यान रखा कि वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होने पाए।
कांग्रेस के वोट मिले : कांग्रेस की बुरी हार हुई है। उसके वोट आप को मिले। इससे आप की सीटों की संख्या बढ़ गई।
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