बुधवार, 15 मई 2013

ऑनलाइन बैंकिंग और शॉपिंग का बढ़ता बाजार


टैप, क्लिक और स्वाइप... ये तीन वह शब्द हैं, जो मौजूदा समय में शॉपिंग और फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल ने शॉपिंग और बैंकिंग को पहले से कहीं ज्यादा आसान और पहुंच वाला बना दिया है। तकनीक की बदौलत बैंक के दस्तावेजों ने कम्प्यूटर फाइल्स का रूप ले लिया है और कैश काउंटर पर बैठने वाले की जगह एटीएम मशीनों ने ले ली है। पहले बैंकों में रोजाना होने वाले आर्थिक लेनदेनों को रजिस्टर में लिखकर रखा जाता था, जिसे दिन का काम खत्म होने के बाद अपडेट किया जाता था। अब यह काम कम्यूटरीकृत हो गया है, जिसका फायदा बैंक के आम ग्राहकों को मिल रहा है।

लगभग डेढ़ दशक पहले तक बैंक की शाखाएं बैंक और ग्राहक के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हुआ करती थीं। लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है। अब ग्राहकों को बैंकिंग के लिए घड़ी देखकर नहीं जाना पड़ता है। चाहे रुपए निकालने की बात हो या फिर जमा करने की। यहां तक कि फंड ट्रांसफर का काम भी बिना बैंक गए ही होने लगा है। बैंक आपके टेलीफोन, मोबाइल और कम्प्यूटर पर उपलब्ध है।

अल्टरनेटिव बैंकिंग
आईसीआईसीआई बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान बैंकिंग से जुड़े उनके कई काम ऑनलाइन हो चुके हैं। जिसमें फंड ट्रांसफर, बचत खाता खोलना, चेकबुक मंगाना और डिमांड ड्राफ्ट के लिए बैंक की शाखा के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। साथ ही रोजमर्रा के बिल जिनमें बिजली, पानी, टेलीफोन और मोबाइल के बिल शामिल हैं, को भी बैंक की मदद से बिना शाखा जाए ही जमा किया जा सकता है। बैंकों ने अपनी इन सेवाओं को अल्टरनेटिव बैंकिंग का नाम दिया है। वर्तमान बैंकिंग परिदृश्य में लगभग सभी बैंकों के 40 प्रतिशत ग्राहक अल्टरनेटिव बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जल्द ही अल्टरनेटिव बैंकिंग उपयोग करने वालों की संख्या 80 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। बैंक के ऐसे ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो बिना ब्रांच में गए अपनी बैंकिंग के काम पूरा कर लेते हैं। इस समय केवल 15 प्रतिशत ग्राहक ही बैंक की शाखाओं में पहुंच रहे हैं।

एटीएम सबसे पुराना और लोकप्रिय
भारतीय बैंकिंग के आधुनिकीकरण में एटीएम -ऑटोमेटेड टेलर मशीन- का रोल काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह अल्टरनेटिव बैंकिंग का सबसे पुराना, सफल और मौजूदा माध्यम है। एटीएम मशीनों ने भारतीय बैंकिंग की दिशा बदलने में जबरदस्त रोल निभाया है। यही वजह है कि बड़े और सरकारी बैंकों के अलावा छोटे तथा को-ऑपरेटिव बैंक भी अपनी एटीएम यूनिट स्थापित करने लगे हैं। पिछले तीन वर्षों में पूरे देश में एटीएम मशीनों की संख्या दोगुनी से ज्यादा होकर एक लाख का आंकड़ा पार कर चुकी हैं।

इनमें से 70 प्रतिशत मशीनें शहरी इलाकों में लगी हैं। बाकी मशीनें कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय सर्वे एजेंसी सेलेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 तक एटीएम मशीनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, जिनमें से 50 फीसदी छोटे शहरों में लगाई जाएंगी।

कैश से कहीं ज्यादा उपयोग
वर्तमान समय में एटीएम का उपयोग केवल नगद निकासी के लिए नहीं रह गया है। इसका उपयोग डिमांड ड्राफ्ट ऑर्डर, चेकबुक ऑर्डर के साथ ही फिक्स डिपॉजिट करने के लिए भी किया जा रहा है।

रिजर्व बैंक की पहल
बैंकिंग में बदलावों के लिए भारतीय रिवर्ज बैंक ने भी खासा काम किया है। कार्ड से होने वाले भुगतान और ऑनलाइन लेन-देन की प्रक्रिया को सुगम बनाकर उसने इसका सीधा फायदा आम बैंक उपभोक्ताओं को पहुंचाया है। आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 के दौरान देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शंस की संख्या 71 फीसदी बढ़ी है। इसी दौरान चेक से होने वाले ट्रांजेक्शंस का प्रतिशत लगातार गिरता गया। 2007-08 से 2011-12 के दौरान पेपर बेस्ड पेमेंट में 8.4 प्रतिशत की कमी देखी गई।

मोबाइल का दौर
पिछले पांच वर्षों के दौरान मोबाइल से होने वाले भुगतानों का प्रतिशत बढ़ा है। मोबाइल मनी सुविधा शुरू होने के बाद इसमें और अधिक इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उपयोगकर्ताओं का प्रतिशत अभी काफी कम है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें बढ़ोतरी होगी। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक जी. पद्मनाभन के मुताबिक मोबाइल बैंकिंग तकनीक का भविष्य उज्जवल है और इस दिशा में लगातार काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था में केवल दो प्रतिशत लेनदेन ही इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के जरिए किया जा रहा है। अभी भी देश में ऐसे स्थानों की संख्या बहुत कम है, जहां कार्ड के जरिए भुगतान लिया जाता है।

  • देश के 10 मिलियन से ज्यादा रिटेलर्स में से केवल 0.6 प्रतिशत ही कार्ड से भुगतान स्वीकार करते हैं।

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